सत्य की खोज में

Sunday, October 14, 2012

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम खुला पत्र

Shri Manmohan Singh
आदरणीय मनमोहन सिंह जी,
आपके
व्यक्तित्व पर आजकल बहुत उंगलियां उठ रहीं हैं। आप पर लगे आक्षेप जब मैं कहीं पढ़ता हूँ या किसी से सुनता हूँ तो मुझे बहुत पीड़ा  होती है। मैं चाहता हूँ कि आप कुछ ऐसे कार्य करें जिससे लोग आपकी दिल से प्रशंसा  करें। इसके लिए आपको केवल एक सुझाव देना चाहता हूँ। मुझे उम्मीद है कि यदि आपने उस पर अमल किया तो देश  का बहुत भला होगा और आपका नाम भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जायेगा।

आदरणीय मनमोहन सिंह जी, आप बेहद ईमानदार, विद्वान एवं कर्मठ व्यक्ति हैं। इन गुणों को तो आपके राजनैतिक विरोधी भी मानते हैं और ये सभी गुण किसी एक व्यक्ति में होना बहुत बड़ी  बात है। आखिर क्या कारण है कि इतना गुणी व्यक्ति आज देश  का प्रधानमंत्री है और देश  के लोगों से प्रशंसा पाने के बजाए उपहास का पात्र बना हुआ है। इसका
मुख्य कारण है कि आज देश  की जनता हर दिन बढती मंहगाई और भ्रष्टाचार  से इतनी त्रस्त है कि उसका जीना दूभर हो गया है।

मेरा ऐसा विश्लेषण  है कि शायद  आज आप अपनी अन्तरात्मा की आवाज को अनसुनी कर रहे हैं और अपने पद पर प्रभावशाली  नहीं रह गये हैं। अपने अधीनस्थ भ्रष्ट मंत्रियों एवं नौकरशाहों  पर अंकुश  नहीं लगा पा रहे हैं। मुझे इसके तीन कारण नजर आते हैं - पहला - आपका विनम्र स्वभाव, दूसरा - गठबन्धन की सरकार और तीसरा - कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी के प्रति आपका कुछ ज्यादा वफादार होना।

मैं समझता हूँ कि आप इस उम्र में अपनी विनम्रता को नहीं छोड  सकते और विनम्रता कोई अवगुण भी नहीं बल्कि सद्‌गुण ही माना जाता है। यह सद्‌गुण उस समय अवगुण बन जाता है जब कठोर बनने की आवश्यकता  हो और व्यक्ति विनम्र बना रहे। इसका दुष्ट  लोग नाजायज  फायदा उठाते हैं। व्यक्ति को अपने पद के अनुरूप अपना दबदबा बनाना पडता है। जो व्यक्ति ऐसा नहीं कर पाते हैं उसके अधिनस्थ अपनी मनमानी करने लगते हैं और जब व्यक्ति देश  का प्रधानमंत्री हो तो संपूर्ण देश  को उसका खामियाजा भुगतना पडता है। लगता ही नहीं कि देश  में कोई प्रधानमंत्री है और उसकी कोई आवाज भी है।


जहाँ तक गठबन्धन सरकार की मजबूरियों और सोनिया गांधी के प्रति वफादारी की बात है तो मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि राजनैतिक गठबन्धन की बिल्कुल परवाह न करें और न मैं यह कह रहा हूँ कि आप सोनिया गांधी के प्रति वफादार न रहें। सोनिया गांधी ने यदि आपको प्रधानमंत्री बनाया है तो उनके प्रति वफादारी भी होनी चाहिए। लेकिन ये सब एक सीमा तक ही ठीक है। इसके लिए यदि आपने कोई सीमा तय नहीं की तो एक दिन ऐसा आयेगा कि आप कहीं के नहीं रहेंगे। न आप प्रधानमंत्री के पद पर रह पायेंगे और न आप कोई इतिहास रच पायेंगे।


कभी-कभी तो लोगों को ऐसा लगता है कि अब आपकी प्राथमिकता सुशासन  के स्थान पर अधिक से अधिक दिनों तक प्रधानमंत्री के पद पर बनें रहना है। इससे आप कांग्रेस की गठबंधन सरकार में गैर नेहरू परिवार से होते हुए ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री बने रहने का इतिहास तो रच देंगे लेकिन देश  की जनता को इससे कोई मतलब नहीं। इतिहास में वहीं व्यक्ति अमर होता है जो महान काम करता है वह नहीं जो अधिक दिन तक शासन  करे। इससे स्थिति तो यहाँ तक आ सकती है कि लोग आपको नफरत की निगाह से देखने लगें। ऐसा होगा तो शायद  मुझे सबसे ज्यादा दुख होगा क्योंकि मैं किसी ईमानदार व्यक्ति का पतन देखना नहीं चाहता हूँ।

कुछ लोगों का यह कहना है कि सरकार का रिमोट सोनिया गांधी के हाथों में है और जाने-अनजाने मनमोहन सिंह सोनिया गांधी के 'यसमैन' हैं, इसलिए मनमोहन सिंह चाहकर भी कुछ अपने मन से नहीं कर पा रहे हैं। यदि इसमें सच्चाई है तो आपको इससे बाहर निकलना होगा। आपको सोनिया गांधी से ज्यादा देश  की जनता के प्रति वफादारी निभानी होगी। प्रधानमंत्री का पद सम्भालने से पहले आपने यही शपथ  ली थी। इसलिए आप सोनिया गांधी के सामने हर समय नतमस्तक न रहें। मेरा ऐसा अनुभव है कि कोई भी समझदार व्यक्ति जी हजूरी करने वाले व्यक्ति को अन्दर से पसन्द नहीं करता। यदि आप सोनिया जी या गठबन्धन की पार्टी के नेता के सामने उनकी गलत बातों का ससम्मान विरोध करेंगे और अपना कोई अच्छा सुझाव देंगे तो उसे वे अवश्य  मानेंगे क्योंकि इसी में उनकी भी भलाई है। जब जनता के बीच सरकार की छवि खराब होगी तो सरकार ही नहीं बचेगी और ऐसा कोई नहीं चाहेगा।


मेरा मानना है कि ईमानदार व्यक्ति से ही भ्रष्टाचार  पर अंकुश  लगाने की उम्मीद की जा सकती है। जो खुद भ्रष्ट होगा वह भ्रष्टाचार पर अंकुश  नहीं लगा पायेगा।
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अतः आपको मेरा केवल एक सुझाव है कि आप देश की केग यानि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक , केंद्रीय सतर्कता आयोग, भारत चुनाव आयोग एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इत्यादि संवैधानिक संस्थाओं तथा सभी मंत्रालयों के प्रमुख पदों पर ईमानदार, योग्य, कर्मठ एवं देश  के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले व्यक्तियों को नियुक्त करने और कराने का भरपूर प्रयास करें। न केवल ऐसे लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठायें बल्कि उन्हें यथा सम्भव सहयोग दें और दबंग लोगों से उनकी रक्षा करें जिससे वे बिना किसी डर के निष्पक्षता  व स्वतन्त्रता के साथ कार्य कर सकें। यदि आप इसमें कामयाब हो गये तो भ्रष्टाचारियों  पर आपको अंकुश  लगाने की आवश्यकता  नहीं पड़ेगी। स्वतः अंकुश  लग जायेगा और श्रेय आपको मिलेगा। ऐसा नहीं है कि अच्छे लोग अब अपने देश  में नहीं है, जरूरत है तो उन्हें तलाश  कर आगे लाने की।

मैं यह भी महसूस कर रहा हूँ कि देश की मौजूदा राजनैतिक एवं प्रशासनिक  स्थितियों में आपके लिए इस सुझाव पर अमल करना इतना आसान नहीं होगा। आपको हर तरफ से विरोध झेलना पड़ेगा । लेकिन इतिहास के पन्नों में ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण मिल जायेंगे जिन्होंने विपरीत परिस्थितयों में भी सराहनीय काम किये हैं।
इसके लिए इतिहास में से ऐसे लोगों को ढूढने की जरूरत नहीं है, आप स्वयं भी इसके उदाहरण हैं जब आपने विपरीत माहौल में दृढ  इच्छा शक्ति  व हिम्मत से अपनी मनमानी की। इसी शासन  काल में जब अमेरिका से न्यूक्लीयर डील का मामला था तो आप उसे भारी राजनैतिक विरोध के बावजूद संसद में पास कराकर ही माने। उस समय आपने अपनी सत्ता भी दांव पर लगा दी थी और वर्तमान में भी काफी राजनैतिक विरोध के बावजूद रिटेल ट्रेडिंग में एफ. डी. आई. को लागू करा रहे हैं।


मेरा मामना है कि जिस सूझबूझ से आपने अपने उक्त मामलों पर अमल कराया यदि उसी कौशलता से मेरे सुझाव पर अमल करेंगे तो देश  से भ्रष्टाचार मिट सकता है और मंहगाई कम हो सकती है। इससे देश  आपको हमेशा सम्मान भाव से याद करेगा। आप का नाम
देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जायेगा।

आपका शुभेच्छु
अनन्त अन्वेषी

5 comments:

  1. सर, आप ने अपने लेख में जो वास्तविकता प्रकट की है उसकी जितनी भी तारीफ की जाये वो कम होगी ! हम उम्मीद करते है की आप का यह लेख मंत्री जी के पास अवश्य पहुंचे और उनको अहसास हो की जो वो कर रहे है क्या वो सब के हित में है ! क्या उनका ज्ञान जिससे दुसरे देशो का लाभ होता है उससे हमारे देश को कोई लाभ नही होगा? हमारी गुजारिस है की समय रहते ही मंत्री जी इस बात को जितनी जल्दी समझ लेगे उतना ही हमारा देश प्रगति के रस्ते में होगा क्योंकि इस पद में हो कर भी अगर वो कुछ न कर पाए तो हमें भी दुःख होगा और बाद में सिर्फ इतना ही कह पायगे की " अब पश्ताये होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत "
    सर आप ने अपने पत्र में जो कहा है वो हर एक भारतीय की आवाज़ है इसलिए आप के इस पहल के लिए मेरा सलाम !

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  2. pitamberthakwani के द्वारा
    आप वास्तव में ही अन्वेषी हैं ! इतनी मेहनत से लिखी इस पोस्ट की सराहना के लिए शब्द नहीं हैं, सच को बहुत ही सच कह कर उजागर करने के लिए धन्यवाद! अनंत जी, आपकी सराहना करने को मन तो क़र रहा है पर लगता है कहीं आप इसे अन्यथा न लें.बाकी हमारे सरदार साब चाहें तो भी कुछ नहीं कर सकेंगे!,न तो उनको कोई मानेगा नहीं मैडम चाहेंगी की पी एम्म उनके रिमोट की रेंज से बाहर हो जाएँ! फिर भी मेरा एक निवेदन है की यह पत्र खुद मनमोहन जी, खुद पढ़े और एक-एक अक्षर पढ़ें! शायद उनका विवेक कफ़न फाड़ कर ,मुक्त हो कर विद्रोह कर बैठे! आपकी आवाज में यह खूबी लगती है!

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  3. rahulpriyadarshi के द्वारा
    मनमोहन जी पर यह आरोप सरासर गलत है कि वो सोनिया जी के ‘यस मैन’ हैं,क्यूंकि जब सोनिया जी ‘नो’ कहती है तब इनकी मजाल नहीं जो ‘यस’ बोल जाए,जनता को मनमोहन पर केस कर देना चाहिए क्यूंकि जब कभी वो मुह खोलते हैं,आत्मा रहित शरीर से एक हलकी आवाज निकालते हैं कि महंगाई जल्द ही घटेगी,मैं तो इसी उम्मीद में हूँ उनका ‘जल्द’ कितनी जल्दी आएगा.वैसे आपकी चिट्टी मजेदार है

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