गत दिवस मैं भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी के पास बैठा था तभी उनके पास एक व्यक्ति अपनी बेटी के साथ आये और पूर्व परीचित अधिकारी महोदय से निवेदन करने लगे - ''साहब, मेरी बिटिया ने एम. ए. फर्स्ट डिवीजन से पास किया है, इसे किसी यूनिवर्सिटी में लेक्चरार की नौकरी दिलवा दीजिये |" अधिकारी महोदय ने युवती से पूछा - "क्या नेट क्वालीफाई किया है?'' युवती ने जवाब दिया -"नहीं, पर बी.एड. किया है|" युवती का जबाब सुनकर अधिकारी महोदय ने उस व्यक्ति से कहा -''किसी यूनिवर्सिटी अथवा किसी डिग्री कालेज में टीचिंग की नौकरी प्राप्त करने के लिए नेट क्वालीफाई करना जरुरी है | बी. एड. की डिग्री से किसी इंटर कालिज अथवा हाईस्कूल में शिक्षक की नौकरी मिल सकती है | वहां कोशिश करें |'' इसके बाद उस व्यक्ति ने कहा -"साहब, बिटिया एल. एल. बी. भी कर रही है | तीन-चार महीने बाद डिग्री मिल जायेगी|" अधिकारी महोदय -"ठीक है" कहकर
फाईलों को देखने में व्यस्त हो गये तो वह व्यक्ति अपनी बेटी को लेकर वहां से चले गये |
अधिकारी महोदय मुझसे बोले- "देखा आपने, मुझे तो तरस आता है ऐसे बच्चों पर जो बिना लक्ष्य
बनाये शिक्षा प्राप्त करते रहते हैं | पहले तो बिना सोचे समझे पोस्टग्रेजुएट तक की डिग्री प्राप्त कर लेते हैं | इसके बाद नौकरी तुरंत न मिली तो कोई दूसरी डिग्री प्राप्त करने में लग जाते हैं | इसके बाद भी नौकरी न मिली तो किसी तीसरी डिग्री लेने की कोशिश करते हैं, साथ ही सिविल सर्विसेज की प्रतियोगी परीक्षा देते रहते हैं और कोशिश करते रहते हैं कि उन्हें किसी भी स्तर पर कोई नौकरी मिल जाये |
स्थिति तो यहाँ तक बदतर है कि मजबूरन ऐसे युवक-युवती चपरासी तक की नौकरी भी करते देखे गये हैं |" इस स्थिति का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा- ''यह स्थिति उन बच्चों की होती है जो मेहनत करके डिग्री हासिल करने के बजाय जोड़-तोड़ से ऐसे शिक्षण संस्थानों से डिग्री प्राप्त करते हैं जिनकी कोई प्रतिष्ठा नहीं है| ये युवक-युवतियाँ जब सरकारी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा देते हैं तो
सफलता नहीं मिलती है और तब प्राइवेट नौकरी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं तो एम्प्लायर की अपेक्षाओं पर भी खरे नहीं उतरते हैं| इस स्थिति के लिए ये युवक-युवतियाँ उतने दोषी नहीं हैं जितनी हमारी शिक्षा प्रणाली और साथ ही इन बच्चों के माँ बाप जो अपने बच्चों को कैरियर के प्रति जागरूक नहीं करते हैं|''
अधिकारी महोदय तो इतना कहकर अपने कार्यो में फिर से व्यस्त हो गये, मगर मुझे इस दिशा में गंभीरता से विचार करने को विवश कर दिया | मुझे ऐसे कई चेहरे दिखाई देने लगे जिन पर उक्त विश्लेषण पूरी तरह सही बैठता है| काश, ये युवक-युवतियाँ सही दिशा में लक्ष्य बनाकर योग्यता के साथ डिग्री हासिल करते तो उन्हें ऐसी दुश्वारियों का सामना नहीं करना पड़ता |
इत्तेफाक की बात है कि जब इन पंक्तियों को मैं लिख रहा था तो एक मित्र का बेटा मिठाई लेकर आया | उसने बताया कि उसे एक कम्पनी में आकर्षक वेतन पर नौकरी मिल गयी है| मैं उसे पहले से
जानता था| पढाई में इसका हमेशा अच्छा प्रदर्शन रहा है| इसने इंटरमीदिएट के बाद ही चार वर्षीय बी. टेक किया और तुरंत ही उसे अच्छी नौकरी मिल गयी |
मैं ऐसे कई युवक युवतियों को भी जानता हूँ जिन्हें बी. टेक. पास किये कई साल बीत गये हैं पर अभी तक
बेरोजगार हैं| निश्चय ही इन युवक - युवतियों ने डिग्री तो हासिल की मगर योग्यता हासिल करने की
कोशिश कभी नहीं की|
ऐसे युवक - युवतियों की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि इन डिग्रियों को हासिल करते ही बड़े- बड़े सपने देखने लगते हैं और योग्यता के अभाव में जब ये सपने पूरे नहीं होते हैं तो समाज विरोधी कार्यों में लिप्त हो जाते हैं| कभी- कभी तो स्थिति इतनी भयावह हो जाती है कि वे जीवन से निराश होकर आत्महत्या तक कर लेते हैं|
इस प्रकार की स्थितियों से बच्चों को बचाने के लिए सरकार का दायित्व है कि वह शिक्षा प्रणाली में रोजगार परक कोर्सेज को प्रोत्साहन दें, आकर्षक बनायें | सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाये| मगर यह इतना आसान नहीं दिखता | अतः इसके लिए हम सभी जागरूक हों साथ ही प्रत्येक माँ-बाप अपने बच्चों की रूचियां पहचान कर उसकी सही दिशा व लक्ष्य निधार्रित करते हुए उनमें बचपन से ही यह आदत डालें कि वे अपनी पढाई को पूरी ईमानदारी व मेहनत के साथ करें | वे अपने बच्चों को बतायें कि ईमानदारी से की गयी पढाई से उनमें जो योग्यता आती हैं उससे जीवन में सफलता मिलती हैं तथा खुशहाली आती है| ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिन्होंने कोई डिग्री हासिल नहीं की मगर उन्होंने जिस क्षेत्र में भी ईमानदारी व मेहनत से काम किया और वे उस क्षेत्र में शिखर पर पहुंचें| किसी बड़ी कंपनी में बिना किसी डिग्री के छोटी सी नौकरी पर नियुक्ति हुए और उस कम्पनी में उच्चत्तम पद तक पहुंचे |
इन सब बातों का तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि डिग्री बेकार होती हैं अपितु डिग्रियां तो कैरियर के बहुत से द्वार खोलती हैं बशर्तें वे ईमानदारी व मेहनत से प्राप्त की गयी हों| डिग्री को प्राप्त करने के साथ-साथ उस क्षेत्र की योग्यता होना नितांत आवश्यक है| बिना योग्यता के डिग्री के बल पर येन-केन - प्रकारेण कोई नौकरी तो प्राप्त कर सकता है मगर संतोषजनक कार्य न कर पाने के कारण वह न तो दूसरों को और न ही अपने आपको संतुष्ट रख पाता है और तनावपूर्ण जिन्दगी जीना उसकी मजबूरी बन जाती है |
ऐसे युवक-युवतियाँ जो इस मकड़ जाल में फँस गये हैं अर्थात जिन्होनें डिग्रियां तो कई हासिल कर लीं मगर उन्होंने योग्यता हासिल करने का कोई प्रयास नहीं किया, जिसके कारण या तो उन्हें कोई नौकरी मिली नहीं या मिली तो वह अपेक्षाओं से बहुत निम्न स्तर की मिली, ऐसे युवक-युवतियों को चाहिए कि वे एक- दो दिन, सप्ताह- दो सप्ताह या और कुछ अधिक समय केवल इस पर विचार करें कि अब इस समस्या से कैसे निजात पायें | इस दौरान अपने अन्दर झांक कर देखें कि कैरियर बनाने का उनका सपना क्या है, उनकी पारिवारिक परिस्थितियां क्या हैं और उनके लिए योग्यतानुसार कौन-कौन से कैरियर के विकल्प खुले हैं | इनमे संतुलन बनाते हुए अपने लिए एक दिशा एवं लक्ष्य निश्चित करें तथा उसे प्राप्त करने के लिए पूरी मेहनत व ईमानदारी से प्रयास करें|
इस जटिल समस्या को हल करने के लिए जानकार एवं अनुभवी व्यक्तियों से भी भरपूर विचार विमर्श कर उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है | जब दिशा एवं लक्ष्य निश्चित हो जाएँ तो उसे प्राप्त करने के लिए दृढ संकल्प लें | यदि दृढ संकल्प नहीं लिया तो फिर से भटकाव आ जाने की पूरी संभावना रहेगी| जब कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने के लिए दृढ संकल्पित होता है तो बाधाएँ स्वयं दूर होने लगती हैं |