सत्य की खोज में

Tuesday, August 12, 2014

शम्भूनाथ इन्स्टीट्यूट के स्टार स्टूडेंट असद की सफलता की कहानी, उन्हीं की जुबानी

                                                       

बालीबुड के मेगा स्टार अमिताभ बच्चन अपने पिता कवि डा0 हरिवंश राय बच्चन की कुछ कविताओं को समय-समय पर मंचों से सुनाते रहते हैं  व उनके अर्थ बताते हैं। उन्हीं पंक्तियों में से कुछ इस प्रकार से हैं - ‘‘यदि मन की इच्छा पूरी हो जाये तो अच्छा लेकिन यदि इच्छा पूरी न हो तो और भी अच्छा। यदि इच्छा पूरी न हुई तो समझो इसमें ईश्वर की इच्छा है। ईश्वर आपको कुछ और अधिक अच्छा देना चाहता है।’’

 

   हो सकता है कुछ लोग इस विचार से सहमत न हों लेकिन बहुत से लोगों का इसमें यकीन है और इसे सही सिद्ध करने के लिए कुछ उदाहरण भी देते हैं। इन उदाहरणों में से एक पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न ए0पी0जे 0 अब्दुल कलाम का दिया जाता है। बताते हैं कि अब्दुल कलाम युवा अवस्था में पायलट बनकर आसमान में उड़ना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने प्रयास भी किया मगर उसमें असफल रहे। जब मन की इच्छा पूरी न होने पर कलाम दुःखी थे तभी उन्हें एक सन्त मिले और उन्होंने उन्हें यही कह कर तसल्ली दी कि  ईश्वर आपको जीवन में इससे ज्यादा अच्छी नौकरी देना चाहता है। जब कलाम देश के राष्ट्रपति बने तब उन्हें यह अहसास हुआ कि यदि उस समय उनकी पायलट बनने की इच्छा पूरी हो जाती तो वह इतने बड़े एवं महत्वपूर्ण पद पर न पहुँच पाते।


 इलाहाबाद स्थित शम्भूनाथ इन्स्टीट्यूट आॅफ फार्मेसी के बी0फार्म करने वाले छात्र मोहम्मद असद पर भी यह बात लागू होती दिख रही है। असद का डाक्टर बनने का सपना था। इसके लिए उन्होंने दो साल सी0पी0एम0टी0 की परीक्षा भी दी मगर उसमें सफल न हो सके। तब किसी की सलाह पर बी0फार्म में प्रवेश ले लिया।
  
 चार वर्षीय बी0फार्म में प्रवेश तो अनमने मन से लिया था मगर धीरे-धीरे लगना लगा कि फार्मेसी का क्षेत्र भी चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है और इस क्षेत्र में भी बहुत कुछ किया जा सकता है।

 इसी वर्ष यानि 2014 में असद ने बी0फार्म उत्तीर्ण किया है। असद ने इस वर्ष एक तरफ बी0फार्म उत्तीर्ण किया तो दूसरी तरफ कड़ी प्रतियोगिता का मुकाबला करते हुए पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए नेशनल इन्स्टीट्यूट आॅफ फार्मेसीटिकल एजुकेशन एण्ड रिसर्च (नाइपर) में लिया। फार्मेसी के क्षेत्र में नाइपर की प्रतिष्ठा उसी प्रकार उच्चतम है जिस प्रकार इन्जीनियरिंग के क्षेत्र में आई0आई0टी0 की है। नाइपर में प्रवेश पाना एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। शम्भूनाथ इन्स्टीट्यूट आॅफ फार्मेसी से बी0फार्म करते हुए नाइपर में प्रवेश पाने वाले मो0 असद पहले छात्र हैं। इसलिए यह उपलब्धि और भी अधिक महत्वपूर्ण बन गयी है।  असद इस उपलब्धि से गदगद हैं । अब वह फार्मेसी के क्षेत्र में बड़े-बड़े सपने देख रहे हैं। अब उन्हें डाक्टर न बन पाने का मलाल नहीं है। असद की उपलब्धि संस्था के अन्य छात्रों के लिए प्रेरणा बन रही है।
   
मो0 असद कौन हैं, उन्होंने यह सफलता किस प्रकार प्राप्त की तथा उनका अपने जूनियर्स को क्या सन्देश है इत्यादि जानने के लिए यहाँ पढि़ये उनकी सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी -

 मैं इलाहाबाद से सटे जनपद-कौशाम्बी की तहसील-चायल के गाँव-खोपा का रहने वाला हूँ। मेरे पिता खुर्शीद आलम़ यूनानी चिकित्सक थे और गाँव में ही क्लीनिक चलाते थे। माँ हाउस वाइफ हैं। मैंने कक्षा दस तक की पढ़ाई गाँव के ही एक हाईस्कूल से हिन्दी माध्यम से की। हाईस्कूल 67 प्रतिशत अंक प्राप्त करके प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद कक्षा-11 में इलाहाबाद स्थित यमुना क्रिश्चियन इन्टर कालिज में प्रवेश ले लिया। इलाहाबाद में ही कमरा लेकर रहने लगा। यह कालिज भी हिन्दी माध्यम का है लेकिन अच्छा है। यहाँ से वर्ष 2008 में इन्टरमीडिएट की परीक्षा 51 प्रतिशत अंको से द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद एम0बी0बी0एस0 में प्रवेश पाने के लिए दो साल तक सी0पी0एम0टी0 की परीक्षा दी लेकिन उसमें सफल न हो सका। इसका मुख्य कारण रहा  मेरा भौतिकी में कमजोर होना। इसमें सफलता न मिलने पर मेरे कुछ शुभ चिन्तकों ने सलाह दी कि मैं इस प्रकार समय बर्बाद करने के बजाय बी0फार्म में प्रवेश ले लूं क्योंकि फार्मेसी भी चिकित्सा से जुड़ा हुआ है। अतः मैंने वर्ष 2010 में इलाहाबाद स्थित शम्भूनाथ इन्स्टीट्यूट आॅफ फार्मेसी में बी0फार्म में प्रवेश ले लिया।

शुरू में मन कम लगा लेकिन धीरे धीरे मन रमने लगा। साथ में मैं यह भी जानने की कोशिश करता रहा कि बी0फार्म के बाद क्या करना चाहिए। इस सम्बन्ध में पता चला कि यदि बी0फार्म के तुरन्त बाद नौकरी नही करनी है तो उच्च शिक्षा प्राप्त यानि एम0फार्म करना होगा। यह भी पता चला कि सरकारी या प्रतिष्ठित संस्था से एम0फार्म करना है तो उसके लिए ग्रेजुएट फार्मेसी एप्टीट्यूट टेस्ट (जीपेट) को क्वालीफाई करना होगा। यह परीक्षा उसी तरह की काफी कठिन होती है जैसी किसी अच्छे संस्थान से इन्जीनियरिंग करने के लिए गेट की परीक्षा होती है।

    जैसे ही मैं बी0फार्म के फाइनल ईयर में पहुँचा तो मेरा परिचय श्रृतुराज त्रिपाठी सर से हुआ। श्री त्रिपाठी सर ने तभी अपनी संस्था में एम0फार्म में प्रवेश लिया था। इन्होंने बी0फार्म  वाराणसी से किया है। मैं पहले से ही होस्टल में रहता था, उन्होंने भी हास्टल लिया। त्रिपाठी सर ने मुझे नाइपर का महत्व बताया और उससे एम0फार्म करने के लिए बहुत प्रेरित किया। उन्होंने मुझसे हर दिन कहना शुरू कर दिया कि यदि नाइपर में प्रवेश पा लिया तो बस जिन्दगी बदल जायेगी। अपनी संस्था के सीनियर फेकल्टी श्री राजकेश्वर प्रसाद ने भी नाइपर का महत्व मुझे काफी समझाया। बस इन दोनों की सलाह मेरे दिल-दिमाग में बैठ गयी। मैंने इसमें सफलता प्राप्त करना ही अपना लक्ष्य बना लिया और मैं इसमें पूरी तरह से लग गया। मुझे समय-समय पर इन दोनों का प्रोत्साहन, सहयोग एवं मार्गदर्शन अद्भुत मिला। अन्ततः सफलता मिल ही गयी। मेरा आल इण्डिया रेंक 1347 आया। 
                                                                राज केश्वर प्रसाद
दरअसल इन दोनों ने नाइपर की परीक्षा क्वालीफाई कर रखी थी। इसलिए इन्हें इसका महत्व पता था और परीक्षा को क्वालीफाई करने का अनुभव भी था। इन्हें नाइपर में मन पसन्द ब्रांच नहीं मिली इसलिए इन्होंने नाइपर में प्रवेश नहीं लिया था।
 
 जब मैं जीपेट (GPAT) की परीक्षा में बैठा था तो अपनी संस्था से बाइस विद्यार्थियों ने जीपेट की परीक्षा दी थी। इनमें से केवल दो ही सफल हो पाये जिनमें से एक मैं था। मेरा आल इण्डिया रेंक 2635 रहा। दूसरा साथी मो0 हबीब अहमद था। नाइपर की एन्ट्रेंस परीक्षा में दोनों में से केवल मैं ही शामिल हुआ था। काउन्सलिंग से मुझे हाजीपुर (बिहार) स्थित नाइपर का कालिज तथा फार्माकोइन्र्फोमेटिक्स ब्रान्च मिली। यह ब्रान्च  एम0टेक0 बायोइन्र्फाेमेंटेक के समकक्ष है। इस ब्रान्च की डिमान्ड यू0एस0ए0 तथा यू0के0 की कम्पनियों में ज्यादा है। ये प्रायः 6 लाख का पैकेज देती हैं। यहाँ से जो डिग्री मिलेगी वह एम0एस0 फार्मा  इन फार्माकोइनफोर्मेटिक्स कहलायेगी।
  
जीपेट की परीक्षा से दस दिन पूर्व मेरे पिता का निधन हो गया। इस दुर्घटना से मेरे शिक्षकों व साथियों को लगा कि अब मैं जीपेट क्वालीफाई नहीं कर पाऊँगा। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी और सफलता मिली।
    
नाइपर का गठन केन्द्रीय सरकार के द्वारा हुआ है। यह फार्मेसी का सबसे बड़ा केन्द्र है। यह फार्मेसीटकल साइन्स, फार्मेसीटिकल मैनेजमेंट, फार्मेसीटिकल इन्डस्ट्रीज टीचिंग इन्स्टीट्यूट को नियन्त्रित करता है।

    पूरे देश में नाइपर के सात कालिज हैं जो मोहाली , हैदराबाद, हाजीपुर, रायबरेली, अहमदाबाद, कोलकत्ता एवं गुवाहाटी में हैं।

        नाइपर में फीस बहुत कम है। प्रथम सेमेस्टर में रू-33,400 तथा द्वितीय से चतुर्थ सेमेस्टर तक कुल सत्रह हजार रू0 प्रति सेमेस्टर फीस लगेगी। इस फीस में हास्टल की सुविधा भी शामिल है। इसके अलावा ए0आई0सी0टी0 आठ हजार रू0 प्रति माह की छात्रवृत्ति भी देगी।
मैंने हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी (67 प्रतिशत) इन्टरमीडियट द्वितीय श्रेणी (51 प्रतिशत) तथा बी0फार्म प्रथम श्रेणी (70 प्रतिशत) में उत्तीर्ण की। परीक्षाफल के इस उतार-चढ़ाव का मेरे दिमाग पर कभी कोई असर नहीं पड़ा।

    मैंने कभी भी पढ़ाई परीक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त करने के लिए नहीं की बल्कि प्रत्येक विषय को गहराई से समझने की कोशिश की। जब विषय की मूलभूत जानकारी (बेसिक) स्पष्ट हो जाती है तब कोई भी विषय बोझिल नहीं लगता है और उसे पढ़ने में आनन्द आने लगता है। उसके प्रश्न बड़े सरल लगते हैं। मैं पूरे सिलेबस को पढ़ता हूँ। मैं परीक्षा को ध्यान में रखकर विषय को नहीं पढ़ता हूँ कि परीक्षा की दृष्टि से कौन सा भाग महत्वपूर्ण है और किस को छोड़ दिया जाये। इसका फायदा यह होता है कि एक तो आपका सेल्फ कान्फीडेंस हाई रहता है, दूसरा प्रश्न कहीं से भी  कैसा भी आ जाये आप तुरन्त समझ जायेंगे कि किस प्रश्न का क्या उत्तर देना हैं। यदि ऐसा नहीं किया जायेगा तो जीपेट की परीक्षा में तीन घंटे के प्रश्न-पत्र में 125 आब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न जो होते हैं वे पूरे हो ही नहीं पायेगें। यदि एक प्रश्न पर एक मिनट भी सोचने में लगा दिया तो दो घंटे तो सोचने में ही निकल जायेंगे।
 
     मुझे लगता है कि जीपेट को क्वालीफाई करने की क्षमता तो बहुत से छात्रों में होती है लेकिन वे गम्भीरता से इसकी तैयारी नहीं करते हैं। यही कारण है कि जीपेट की परीक्षा तो बहुत से छात्र देते हैं लेकिन सफल कम ही हो पाते हैं।
   
 शम्भूनाथ इन्स्टीट्यूट आॅफ फार्मेसी के छात्र इस मामले में बड़े भाग्यशाली हैं  कि जीपेट क्वालीफाई कराने हेतु उनका उचित मार्गदर्शन करने के लिए सभी फैकल्टी मेम्बर्स सक्षम हैं। मैं चाहता हूँ कि यहाँ के विद्यार्थी उनसे अधिक से अधिक मार्गदर्शन लें और नाइपर या अन्य प्रतिष्ठित संस्था में प्रवेश पाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करें।

यदि मेरे किसी जूनियर साथी को मेरी किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो तो मुझ से ईमेल से सम्पर्क किया जा सकता है। मेरा - Email-ID- asadpharma786@gmail.com