सत्य की खोज में

Saturday, December 28, 2013

आई0आई0एम0 लखनऊ के डा0 संजय कुमार सिंह को सबसे युवा प्रोफेसर बनने का गौरव


इलाहाबाद। देश के सर्वोच्च प्रबंधन - संस्थान "इन्डियन इन्सटीट्यूट आफ मैनेजमेंट " (आई0आई0एम0) लखनऊ में कार्यरत् अर्थशास्त्र के एसोसियेट प्रोफेसर डा0 संजय कुमार सिंह को सबसे युवा प्रोफेसर बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। 40 वर्ष की उम्र में बने प्रोफेसर श्री सिंह अपने बैच में सबसे कम उम्र के हैं। कहा जा रहा है कि श्री सिंह इन्सटीट्यूट के सबसे युवा प्रोफेसर हैं ।

श्री सिंह ने अपने कैरियर की शुरूआत वर्ष 2001 में सेंट्रल इन्स्टीट्यूट आफ रोड ट्रांसपोर्ट, पुणे से फेकल्टी मेम्बर के रूप में की। इसके बाद एक्स0एल0आर0आई0, जमशेदपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त हुए। यहाँ से इसी पद पर आई0आई0टी0 कानपुर चले गये। कानपुर में लगभग पाँच वर्ष के अध्यापन के बाद आई0आई0एम0 लखनऊ में एसोसियेट प्रोफेसर के रूप में फरवरी 2008 में नियुक्त हुए।


यूँ तो श्री सिंह ने वर्ष 1995 में इन्स्टीट्यूट आफ इन्जीनियरिंग एण्ड टेक्नोलाजी लखनऊ से बी0टेक0 इलेक्ट्रीकल इन्जीनियरिंग में किया था। लेकिन इसके बाद वर्ष 1997 में नेशनल पावर ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट, दुर्गापुर से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन थर्मल पावर प्लान्ट इन्जीनियरिंग करते हुए वर्ष 2003 में इन्दिरा गाँधी इन्स्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट रिसर्च, मुंबई से डेवलपमेंट स्टडीज़/अर्थशासत्र में पी0एच0डी0 पूरी की।

इस दौरान श्री सिंह ने दो पुस्तकें लिखीं जो जर्मनी से प्रकाशित हुई हैं। इनमें से पहली पुस्तक वर्ष 2006 में ‘‘प्रोडक्टीविटी, कास्ट स्ट्रक्चर एण्ड प्राइसिंग इन अर्बन बस ट्राँसपोर्ट’’ शीर्षक से तथा दूसरी पुस्तक वर्ष 2010 में ‘‘प्रोडक्टीविटी एण्ड एफीसियेन्सी इन स्टेट ट्राँसपोर्ट अन्डरटेकिंग्स इन इन्डिया’’ शीर्षक से प्रकाशित हुईं। इनके देश-विदेश के जर्नल्स में लगभग 3 दर्जन रिसर्च पेपर्स प्रकाशित हुए हैं। लगभग इतनी ही राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय मीटिंग/सेमीनारों में भाग लिया और प्रेजेन्टेशन दिये  हैं। लगभग एक दर्जन रिसर्च एण्ड कन्सलटेंसी प्रोजेक्ट्स पर काम किया है।


श्री सिंह तीन छात्रों - नरान एम0 पिंदोरिया, मोहम्मद इरफान व सरोजीत दास के रिसर्च गाइड रह चुके हैं। इन तीनों छात्रों को पी0एच0डी0 की डिग्री मिल चुकी हैं। ये सभी शिक्षा के क्षेत्र में उच्च पदों पर कार्य कर रहें हैं। एक दर्जन से अधिक विभिन्न प्रतिष्ठित समितियों के चेयरमैन, सेक्रेट्ररी, कोआडिर्नेटर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। इस प्रकार इन्हें खासा प्रशासकीय अनुभव भी हासिल है।


6 मई 1973 को जन्मे श्री सिंह की शुरू से ही  प्रतिभाशाली छात्रों में गिनती रही है। उन्हें पढ़ाई के दौरान नेशनल एवं मेरिट स्कालरशिप मिली। इन्हें वर्ष 2000 में बेस्ट अर्टिकिल का  अवार्ड  मिला है। यह आर्टिकिल ‘इन्डीयन जर्नल आफ ट्राँसपोर्ट मैनेजमेंट'  के मई 2000 अंक में प्रकाशित हुआ था। श्री सिंह को वर्ष 2006 में ‘‘मानस चटर्जी अवार्ड फार एक्सीलेंस इन रिसर्च इन रीजनल साइन्स’’ से नवाजा गया। इस अवार्ड़ की स्थापना अमेरिका की बांघिमटन यूनिवसिर्टी के स्कूल आफ मैनेजमेंट में कार्यरत प्रोफेसर मानस चटर्जी ने की है।
         PHOTOGRAPH  WITH PROF. MANAS CHATERJI DURING AWARD FUNCTION

श्री सिंह का नाम वर्ष 2011 के मारकुइस हू इज हू इन दी वर्ल्ड  2011 में शामिल किया गया है। इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर नासी-स्कोपस यंग साइन्टिस्ट अवार्ड और ‘नेशनल एकेडमी आफ साइंस आफ इन्डिया’ वर्ष 2012 के लिए अन्तिम चार चयनितों में सूची बद्ध किया गया।

गौरतबलब है कि इतनी कम उम्र में राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्री सिंह की इन्टरमीडिएट तक की शिक्षा हिन्दी माध्यम से हुई है। इनका पैतृक निवास जौनपुर (उत्तर प्रदेश) है। वहीं इनका जन्म और प्रारम्भिक शिक्षा हुई।




श्री सिंह के पिता वीरेन्द्र प्रताप सिंह जौनपुर के एक जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हैं और समाज सेवा से जुड़े हैं। श्री सिंह चार भाई एवं एक बहन हैं। दो बड़े भाई - एक डा0 अजय सिंह आई0आई0टी0 पवई में सीनियर साइंटिस्ट है तथा दूसरे डा0 विजय प्रताप सिंह गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कालिज झालावाड़ (राजस्थान) में एसोसियेट प्रोफेसर हैं। बहन डा0 तरूणा सिंह, हिन्दी से पी0एच0डी0 हैं और छोटे भाई धनजंय कुमार सिंह एस0आई0एम0 में फेकल्टी मेम्बर हैं व सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं । परिवार में पत्नी पूनम सिंह व दो बच्चे शिवेंद्र व सौर्या हैं। बहनोई आर0के0 सिंह शम्भूनाथ ग्रुप आफ इन्स्टीट्यूट्स, इलाहाबाद में चीफ एक्यूक्यूटिव आफिसर के पद पर कार्यरत हैं।


श्री आर0के0 सिंह से जब इस उपलब्धि पर अपनी टिप्पणी देने का आग्रह किया तो उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि संजय सिंह प्रतिभाशाली हैं और शुरू से ही बहुत परिश्रमी हैं तथा शिक्षा क्षेत्र के लिए समर्पित हैं। उन्होंने बताया कि संजय सिंह की नियुक्ति दिल्ली ट्राँसपोर्ट में जी0एम0 के पद पर हो गयी थी लेकिन वह उसमें नहीं गये। जो व्यक्ति प्रतिभाशाली हो, परिश्रमी हो और किसी एक दिशा में पूरी तरह समर्पित हो वह जीवन में नये-नये कीर्तिमान स्थापित करता है। संजय सिंह इसकी मिसाल है। ये आगे भी कीर्तिमान स्थापित करेंगे।
जब इन पंक्तियो के लेखक ने संजय सिंह से फोन पर बातचीत की और जानना चाहा कि उनके जीवन का सपना क्या है तो उन्होंने बड़े सहज़भाव से कहा कि वह चाहेंगे कि शिक्षा के क्षेत्र में अधिक से अधिक ऐसा किया जाये जो देश व समाज के काम आये।