सत्य की खोज में

Saturday, March 19, 2011

आठ माह तक न लिखने का कारण

"दंगो में दिखता पुलिस का असली चेहरा"  शीर्षक के अर्न्तगत मैंने अन्तिम प्रविष्टि 27 जुलाई 2010 को अपने ब्लॉग पर डाली थी। इसके बाद ब्लॉग पर कोई प्रविष्टि न डाल सका। इसका मुझे अफसोस है।

मेरी पत्नी बहुत दिनों से गम्भीर रूप से बीमार थीं। अथक प्रयास के बाद भी उसे न बचा सका। वह हम लोगों को 23 नवम्बर 2010 के दिन हमेशा के लिए छोड़कर चली गईं।

इस बीच महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) में ब्लॉग्स पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार सम्पन्न हुआ। सौभाग्य से इस सेमीनार की प्रमुख झलकियों की एक सी.डी. देखने को मिली। इस सी.डी. के माध्यम से ब्लॉग लेखन सम्बन्धी बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलीं। उनमें से एक है-

''ब्लॉग पर नियमित लिखना चाहिए। यदि किसी कारणवश इसमें कोई लम्बा व्यवधान आने की सम्भावना हो तो इसकी जानकारी ब्लॉग पर अवश्य देनी चाहिए जिससे कि पाठक ब्लॉग पर कुछ नया न आने के कारण से अवगत हो जाए। ऐसी जानकारी न देने का परिणाम प्रायः यह होता है कि पाठक उस ब्लॉगर के ब्लॉग को देखना बन्द कर देते हैं।

काफी दिनों से ब्लॉग पर लिखने को मन व्याकुल हो रहा था लेकिन लिख नहीं पाया। अब ऐसा लग रहा है कि मैं इस व्याकुलता को शीघ्र शांत कर पाऊँगा और आशा है कि इसी माह-मार्च में कम से कम मेरी एक प्रविष्टि आपको पढने को अवश्य मिलेगी।