सत्य की खोज में

Monday, May 31, 2010

55 साल की उम्र में पहला जन्मोत्सव

01 फरवरी 2008 | आज मेरा 56 वां जन्मदिन था अर्थात मै 55 साल का हो गया. न मैंने कभी अपना जन्मदिन मनाया और न ही कभी माँ- बाप, भाई-बहन, पत्नी आदि किसी के जन्मदिन को मनाने  मे मेरी दिलचस्पी रही. यहाँ तक कि अपने एक मात्र बेटे के पहले  जन्मदिन को भी मनाने का अपने अन्दर कोई उत्साह नहीं था. हालांकि  परिवार के लोगों  ने बेटे का पहला जन्मदिन जोर-शोर से मनाया था. मगर मैंने उसमें  भी खानापूर्ति सी ही की थी. कुछ साल परिवार के लोग बेटे का जन्मदिन मनाते रहे, बाद में जब बेटा कुछ बड़ा हो गया तो वह अपना जन्मदिन अपने दोस्तों को बुलाकर खुद मनाने लगा. मैं  न चाहते हुए भी उसके किसी जन्मदिन में  शामिल हो जाता और कभी उससे भी पलायन कर जाता. यह नहीं मालूम कि  मेरे अन्दर जन्मदिवस के उत्सव को लेकर इसकी निरर्थकता का बोध क्यों था.

हाल ही में  बेटे की शादी हुई. इस शादी के 8 महीने  बाद मेरा आज जन्मदिन है. मुझे  अपना जन्मदिन याद नहीं था. बहु (आराधना ) ने मेरा जन्मदिन मुझसे कभी बातों-बातों में मालूम कर लिया था. वह उसी दिन से मेरा जन्मदिन मनाने को उत्सुक थी. उसने अपने मन की बात अपने पति (मेरे बेटे) को भी बताई और उसे भी इसके लिए तैयार  कर लिया  लेकिन मुझे इसकी कोई भनक नहीं दी. आज सुबह जैसे ही ये दोनों सोकर उठे, मेरे पास आये और "हैप्पी बर्थ डे" कहकर मुझे विश किया और अपनी भावनायें ब्यक्त करते हुए पूछने लगे कि आज घर मे क्या बनाया जाये  और किनको बुलाया जाये. मैंने उनकी भावनाओं  की ज्यादा परवाह नहीं की और रूखे ढंग से कह दिया कि घर में  खाने के लिए कुछ भी बना लो, मगर  जन्मदिन को उत्सव के रूप में  नहीं मनाया जायेगा और न ही किसी को बुलाया जायेगा. वे अपनी जिद पर थे तो मैं  भी अपनी जिद पर अड़ा था. कुछ देर बाद उन्होंने (बहु-बेटे) आपस में  सलाह करके मुझसे कहा कि ठीक है बाहर से किसी को नहीं बुलाया जायेगा. मैं  उनके इस फैसले को सुनकर निशचिंत  हो गया और अपनी दिनचर्या में  लग गया.

शाम को लगभग 7 बजे उन्होंने मुझसे कहा कि अपने कपड़े बदल लीजिये अब केक काटा जायेगा. यह कहकर वे झालर, गुब्बारे आदि टांगकर कमरे को सजाने लग गए.  मैं  यह सब देखकर हक्का-बक्का रह गया. मैंने उनसे कहा भी- यह क्या हो रहा है. मैंने तो सुबह ही ऐसा   कुछ भी करने के लिए मना  कर दिया था. इस पर वे हँसे  और बोले कि अब कुछ नहीं हो सकता, चलिए तैयार होइए केक काटने के लिए. हालात  को देखते हुए मैंने समझौता किया और झटपट कपड़े बदले और उस कुर्सी पर बैठ गया जो स्पेशली मेरे लिए लगाई गयी थी. बगल में उन्होंने अपनी बीमार माताजी (मेरी पत्नी) को भी बैठा दिया. केक पर लगायी  गयी मोमबत्तियों   को जला करके मेरे हाथ में चाकू पकड़ाते हुए कहा कि केक काटिए. मैंने केक काटनी शुरू की तो उन्होंने "हैप्पी बर्थ डे टू यू,   हैप्पी बर्थ डे टू यू"  कहते हुये एक फैंसी बम  से हमारे ऊपर कागज के फूलों व चमकीली कतरनों की वर्षा की और प्रत्येक  क्षण को कैद करने के लिए कैमरे से फोटो भी खींचने  शुरू कर दिए. इसके बाद नई शर्ट-पैन्ट का डिब्बा मेरे हाथों में  थमा दिया. दोनों ने मुझे  केक खिलाया. मैंने भी उनको केक खिलाया.

मैनें उनसे पूछा कि इतनी तैयारी तुम लोगों  ने कब, कैसे और क्यों कर ली. बेटे ने कहा- यह सब आराधना  का खेल है. मैंने तो सामान लाने मे सहयोग किया है. आराधना ने मुझसे पूछा- क्या आपको बुरा लग रहा है? मैनें कहा, बुरा नहीं  बल्कि अच्छा लग रहा है. सच में  पूछो तो इतनी ज्यादा ख़ुशी हुई है कि जिसका शब्दों  में  वर्णन करना मुश्किल है.

हांलाकि आराधना ने मुझसे बातों- बातों में यह बात कई बार कही थी कि परिवार के प्रत्येक सदस्य को ध्यान रखना चाहिए कि यदि वह किसी को कोई छोटी सी ख़ुशी दे सकता है तो उसे देना चाहिए. इन छोटी-छोटी खुशियों से ही बड़ी ख़ुशी बन जाती है. इसी से आपस में प्रेम बढ़ता है जो बहुत जरुरी है. जो इस बात की परवाह नहीं करता है उसके लिए यह लापरवाही बड़ी घातक सिद्ध हो सकती  है.

ऐसा   नहीं है कि आराधना ने जो कभी-कभी मुझसे कहा वह मुझे पता नहीं था.  मैंने ऐसी बातें इससे पहले भी सुनी व पढ़ी थीं  लेकिन जो प्रभाव इस उत्सव का पड़ा वह उस सुने व पढ़े का नहीं पड़ा. इस उत्सव से मुझे महसूस हुआ कि ये दोनों मुझे दिल से बहुत चाहते हैं और एक-दुसरे के प्रति यह चाहना (प्रेम करना) जितना जरुरी है उतना ही उसका उजागर होना जरुरी है.

इसके बाद मैंने फैसला किया कि अब न केवल इनके जन्मदिन बल्कि अन्य लोगों के जन्मदिनों को भी पूरे  उत्साह से मनाऊंगा. देर आये दुरुस्त आये.   

4 comments:

  1. yeh ek dil kochhune wali lekh hai, khaskar unke liye jo prem ke prati udasin hai.
    author ko bahoot-bahoot badhai umid hai age bhi aap rongte khare karne wale lekh likhte rahenge.
    vijay

    ReplyDelete
  2. very well said sir, spacially in today's era it is really much important to show your love towords your loved ones...

    ReplyDelete
  3. बहुत प्यारी पोस्ट! आपकी बहू बहुत समझदार और सबका ख्याल रखने वाली है। बहू-बेटे को मेरी मंगलकामनायें।
    आप अनेकों जन्मदिन इसी तरह मनायें। शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  4. अनंत अन्वेषी जी,

    इलाहाबाद से हैं क्या । क्योंकि आई ए एस महिला टापर इवा सहाय मेरे ही मुहल्ले में रहती हैं । अगर प्रयागवासी हैं तो मुलाकात संभव है । ब्लागिंग की दुनिया में आपका स्वागत है ।

    ReplyDelete